दौड़े दौड़े आये कृष्णा,
जब सुना सुदामा आया है,
मेरा यार सुदामा आया है….

मुरली है कहीं और मुकुट कहीं,
तन मन सुध बुध बिसराया है,
हृदय से लगाकर सुदामा को,
प्रभु लिपट लिपट के रोये है,
दौड़े दौड़े आये कृष्णा,
जब सुना सुदामा आया है….

जिनसे धीरज पाती दुनिया,
वो धीरज अपना खोये है,
तन मन है विकल नैनों में है जल,
और देखो गला भर आया है,
दौड़े दौड़े आये कृष्णा,
जब सुना सुदामा आया है….

बड़भागी कौन ये आया है,
अचरज में खड़े सब सोच रहे है,
मिट्टी और धूल जो तन पे लगी,
प्रभु पीताम्बर से पोंछ रहे है,
बड़े प्रेम से माधव ने उनको,
सिंहासन पे बैठाया है,
दौड़े दौड़े आये कृष्णा,
जब सुना सुदामा आया है….

ये राजपाट ये धन वैभव,
मानो सब इसका ही है दिया,
कर सकता कोई और नहीं,
जो काम सुदामा ने है किया,
मेरे भाग्य के दुःख और निर्धनता,
ये अपने नाम लिखवाया है,
दौड़े दौड़े आये कृष्णा,
जब सुना सुदामा आया है….

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